आओ पढ़ें baccho ki kahaniya in hindi और pdf download भी करें। लालच का फल मजेदार कहानि ।
लालच का फल baccho ki kahaniya in hindi
Downloadरामपुर नामक गाँव मे एक मछुआरा अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसका नाम महेश था। उसकी पत्नी बहुत लालची थी। मछुआरा रोज तालाब से मछली पकड़ता और उसे बाज़ार मे बेच कर अपना और अपनी पत्नी का पेट पालता था। इतनी मेहनत करने के बाद भी उसकी पत्नी उससे बहुत दुखी रहती थी और हमेशा महेश पर गुस्सा करती रहती थी। महेश रोज तालाब से मछली पकड़ने जाता पर हर रोज उसके जाल मे बस एक दो ही मछली फसती थी। इस बात से महेश बहुत परेशान हो जाता और सोचने लगता की अब घर जाकर अपनी पत्नी को क्या बोलेगा मेरी पत्नी फिर मुझ पर गुस्सा करेगी। एक दिन महेश मछली पकड़ने तालाब पे गया उसने अपना जाल पानी मे डाला कुछ देर बाद जाल मे हल चल हुई तो महेशने जाल अपनी तरफ खीचा और देखा की उसमे दो ही मछली फंसी है ये देख उसने फिर से जाल फेका और फिर उसमे एक मछली फसी यह देख कर महेश मन ही मन बोला,” हे भगवान कैसी किस्मत है मेरी दो मछली के अलावा और मछली फसती ही नही है जाल मे। अब घर जाऊंगा तो फिर मेरी पत्नी गुस्सा करेगी अब मैं क्या करुँ। यही सब सोचते सोचते महेश अपने घर चला जाता है। घर आकर महेश की पत्नी ने पुछा, क्यूँ जी आज कितनी मछली हाथ लगी। महेश ने कहा,” आज भी एक दो मछली ही हाथ लग पाई है। उसकी पत्नी ने गुस्से मे कहा तुमसे कुछ नही हो पाएगा हमेशा ये दो चार ही मछली पकड़ना मैं तो तंग आ गयी हूँ तुमसे मैं अपने मायके चली जाऊंगी। मेरे तो भाग्य ही फुट गये तुमसे शादी करके। महेश ने निराश होकर कहा अब इतनी मेहनत करने के बाद भी मछलियाँ जाल मे नही फसती तो इसमे मेरी क्या गलती है इसमे मैं क्या कर सकता हूँ। तब महेश की पत्नी ने कहा, एक काम कर सकते है गाँव के बाहर जो जंगल वाला तालाब है उसमे तुम कल मछली पकड़ने जाओगे। महेश ने कहा तुम पागल हो गयी हो क्या उस जंगल मे कोई नही जाता वो डरावना जंगल है। उसकी पत्नी के कहा कोई नही जाता तभी तो उस तालाब मे कई सारी मछलियाँ होंगी अब तुम कल वहाँ जाओगे और मछली पकड के लाओगे।
मछली पकड के लाओगे
अगले दिन महेश उसी जंगल वाले तालाब मे गया पर उस दिन भी महेश के हाथ एक ही मछली लग पाई। महेश दुखी होकर फिर भगवान से बोला,” हे भगवान लगता है मेरी किस्मत ही खराब है। आज भी बस एक ही मछली हाथ लग पाई। अब फिर मेरी पत्नी गुस्सा करेगी।ये सोचते सोचते महेश उस मछली को लेकर बाजार मे बचने गया ओर आवाज लगाते हुए बोला, ले लो ले लो ताजी मछली के लो। पर उसकी मछली लेने कोई नही आया तो वो निराश होकर घर चला गया। घर जाकर उसकी पत्नी ने पुछा की आज कितनी मछली हाथ लगी। महेश बोला,” आज भी बस एक ही मछली हाथ लगी। उसकी पत्नी गुस्से मे बोली तुम किसी काम के नही हो आज दुसरी जगह भेजा तब भी बस यही एक मछली पकड़ी तुमसे कुछ नही हो पाएगा अब ना घर मे अनाज है ना कुछ है खाने को आज बस यही मछली खानी पड़ेगी तुम्हे। इतना बोल कर उसकी पत्नी रसोई मे चली गयी और मछली काटने लगी जैसे ही उसने मछली को बीच से काटा उस मछली के पेट से एक सोने का अण्डा निकला ये देख कर महेश की पत्नी चौंक गयी और महेश को आवाज दी,”अजी सुनो जल्दी से यहा आओ देखो मछली के पेट से क्या निकला ” यह सुन कर महेश जल्दी से रसोई मे आया तो देखा मछ्ली के पेट से सोने का अण्डा निकला है। महेश की पत्नी बोली हम तो अमीर हो गये सोना पा कर अब हमारे पास बडा घर होगा अच्छा खाना होगा मैं अपने लिये गहने लुंगी अब मैं अपनी सारी जरूरते पूरी करूंगी।ये सुन कर महेश बोला हाँ हाँ हम सब खरीदेंगे हम अमीर हो गये। महेश की पत्नी ने कहा,”अजी सुनो आप कल फिर वहाँजना मछली पकड़ने। महेश ने कहा, ठीक है। अगले दिन महेश फिर उसी तालाब पे गया और मछली पकड़ने लगा ओर फिर उसके हाथ बस एक ही मछली लगी उस मछली को लेकर महेश घर चला गया और अपनी पत्नी को मछली दी। उसकी पत्नी ने जब उसे काटा तो फिर एक सोने का अण्डा निकला उसकी पत्नी बहुत खुश हुई। अब तो वह लोग काफी अमीर हो गये नौकर- चाकर घर मे काम करने लगे महेश की पत्नी भी बहुत खुश थी। उसने अपने लिये गहने ओर नये कपडे लिये। पर महेश की पत्नी के मन मे लालच आ गया उसने अपने पति से कहा,” की एक एक मछली लाकर ओर सोना निकाल कर कुछ नही हो रहा क्यूँ ना हम उस तालाब मे जाकर एक साथ सारी मछलियाँ निकाल के ले आए तो सोचो हम कितने अमीर हो जाएंगे सबसे अमीर। महेश ने कहा नही ज्यादा लालच करना सही नही है हमारे पास जो भी धन है हमे उसमे खुश रहना चहिये ज्यादा लालच बुरी बला है।
(सिख) लालच बुरी बला
उसकी पत्नी ने गुस्से मे महेश से कहा, तुम चुप रहो ये ज्ञान मुझे मत सिखाओ मैने ही कहा था तुम्हे उस तालाब पे जाने को तभी आज हम इतने अमीर हो पाये है अब कल चुप- चाप मेरे साथ तालाब पे चलना। इतना बोल कर उसकी पत्नी वहाँ से चली गयी। अगले दिन महेश ओर उसकी पत्नी दोनो उसी तालाब पे पहुँचे और तालाब का सारा पानी बाहर निकाल दिया। पर पानी निकालने के बाद उन्होने देखा की उस तालाब मे एक भी मछली नही है। और पानी निकालने के बाद वो तालाब दल दल मे बदल गया। महेश और उसकी पत्नी उस दल दल मे धसते जा रहे थे।महेश ने कहा देख लिया ज्यादा लालच करने का फल अब हमे कौन बचेगा तुम्हारे लालच के चक्कर मे हम अपनी जान से हाथ धो बेठेँगे। उसकी पत्नी जोर जोर से चिल्लाने लगी बचाओ कोई है कोई तो बचाओ हम मर जाएंगे प्लीज कोई तो बचाओ। और फिर दोनो चिल्लाते रहे पर वहाँ कोई नही आया और दोनो की मृत्यु हो गयी।
लालची सास baccho ki kahaniya in hindi

साक्षी अपने मम्मी पापा के साथ रहती थी वो एक होनहार और होशियार लड़की थी अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसके मां बाप ने उसकी शादी करवा दी। अब साक्षी अपने ससुराल में अपने सास ससुर और पति की हर इच्छा पूरी करती और इस बात का ध्यान रखती की उन्हें शिकायत का कोई मौका न मिले कुछ महीनों तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन अचानक फिर उसकी सास में बदलाव आना शुरू हो गया साक्षी कोई भी काम करती उसमे उसकी सास कोई न कोई कमी निकाल ही देती वो साक्षी को अब ताने भी मारने लगी।
सास,एक तो ये अपने मायके से कुछ लेकर नही आई और अब यहां आकर हमारा काम भी बिगाड़ रही है।
एक दिन की बात है साक्षी घर की साफ सफाई में लगी हुई थी की तभी उसकी सास वहां आई और बोली, बहु एक काम करेगी मेरा साक्षी बोली हा मां जी बोलिए क्या करना है?
सास, कुछ नही बस कुछ दिन बाद मुझे अपने एक रिश्तेदार की शादी में जाना है तो तुम अपने मायके से मेरे लिए एक सोने का हार ले आओ।
साक्षी, ये आप क्या कह रही हैं मेरे पापा के पास जो भी था वो सब तो उन्होंने मेरी शादी में लगा दिया अब मैं वहां से सोने का हार कैसे लेकर आऊं?
सास, देखो बहु लाना तो तुम्हे पड़ेगा नही तो तुम इस घर से बाहर जाओगी।हमेशा के लिए।
साक्षी अपने मायके चली जाती है और कैसे न कैसे करके सोने का हार तो ले आती है।सास हार देख कर बोहोत खुश होती है।लेकिन अभी भी सास को तसल्ली नही थी कुछ दिनो बाद फिर से उसने साक्षी को परेशान करना और उसे हर काम के लिए ताने मारना शुरू कर दिया और अगर साक्षी कुछ कहती तो उसे मारा भी जाता था।
एक बार साक्षी का पति उदास सा घर आया जब सास ने उससे पूछा तो उसने बताया की उसका उसके काम में बड़ा भारी नुकसान हुआ है। उसे वापस सही करने के लिए 25000 रुपए की जरूरत है पर मेरे पास तो अब कुछ नही बचा। तब सास बोली ये है ना ये लाएगी अपने मायके से। साक्षी, नही मां जी अब नही पहले ही वो बोहोत दे चुके हैं आप लोगो को अब नही अब वो कहां से लायेंगे थोड़ी तो दया कीजिए। पर सास और पति नही माने और उसे मायके भेज ही दिया। वहां जाकर उसने अपने मां बाप को सब कुछ बताया तो उन्होंने कहा कि कोई बात नही बेटा अब जो हमारे भाग्य में है वो हमे मिलता ही है साक्षी के पापा ने अपने घर की गिरवी रख कर साक्षी को पैसे दिए जिन्हे लेकर वो अपने ससुराल आ गई। इसके बाद जो हुआ वो आपको दूसरे पार्ट में देखना होगा।
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दो बिल्ली और एक बंदर baccho ki kahaniya in hindi pdf

एक बार की बात है, दो भूखी बिल्लियां गली में घूम रही थी।
अचानक उन्होंने देखा की एक घर का दरवाजा खुला हुआ है वो दोनो घर के अंदर गईं। और उन दोनो को एक साथ एक ब्रेड का टुकड़ा दिखाई दिया।
दोनो एक साथ उस ब्रेड पर कूदी और उसे लपकने की कोशिश करने लगी।
“मैने इसे पहले देखा था! ये मेरा है,” पहली बिल्ली बोली।
“क्या झूठ बोल रही हो! मैने इसे पहले देखा था ये मेरा है” तुम इससे दूर रहना। दूसरी बिल्ली ने कहा!.
वो एक दूसरे से लड़ रही थी की तभी एक बंदर वहां आया। उसने उनसे विनम्रता पूर्वक नमस्ते किया। और बोला, में तुम दोनो को देख रहा था प्यारी बिल्लियों”!
मैं देखा की तुम दोनो ने एक साथ इस ब्रेड को देखा था।
वो अच्छा ये होगा की तुम दोनो को इसका बराबर हिस्सा मिलना चाहिए।
मैं इतनी प्यारी बिल्लियों को परेशानी में नही देख सकता!!
तो मैं इस ब्रेड को बराबर हिस्से में बाटने में तुम्हारी मदद करूंगा।
दोनो बिल्लियां बहुत खुश हो गईं। अब हम दोनो को ब्रेड का बराबर हिस्सा मिल सकता है उन्होंने उत्साहित होकर बोला।
फिर बंदर एक तराजू खरीद कर लाया और उसने तराजू के दोनो पलड़ो पर ब्रेड के असमान हिस्सो को रखा।
ब्रेड का एक टुकड़ा दूसरे टुकड़े से भारी होना ही था। चालाक बंदर ने दोनो बिल्लियों से बोला, चिंता मत करो!! मैं तुम दोनो को इसका बराबर हिस्सा ही दूंगा। आखिर ब्रेड तो तुम्हारा ही है ना।
तो, बंदर ने भारी वाले हिस्से के ब्रेड के टुकड़े को ज्यादा मात्रा में तोड़ दिया और खा गया।
उसने फिर उसे तराजू पर रख दिया।अब दूसरा टुकड़ा पहले वाले टुकड़े से भारी हो गया। उसने फिर बिल्लियों से कहा, ये मेरी जिम्मेदारी है, में ध्यान रखूंगा की तुम दोनो को बराबर हिस्से में ब्रेड मिले। ये मुझ पर छोड़ दो। फिर से उसने बड़े टुकड़े में से ज्यादा मात्रा में टुकड़ा तोड़ा और खा गया। फिर से दूसरा हिस्सा पहले हिस्से से ज्यादा भारी हो गया। ये सिलसिला चलता रहा और आखिर में वहां ब्रेड नही बचा।
फिर चालाक बंदर बोला, ” ओह मेरी गरीब बिल्लियों वो ब्रेड सच में तुम दोनो के लिए था ही नही। इसलिए उसने बराबर हिस्से में होने से इंकार कर दिया। यह कह कर बंदर वहां से भाग गया। बेचारी बिल्लियां कुछ न कर सकी। वो बस एक दूसरे की तरफ उदासी से देखती रहीं।