hindi essay 15 august swatantrata diwas par nibandh स्वतंत्रता दिवस

hindi essay 15 august swatantrata diwas par nibandh : 15 अगस्त, 1946 को भारत अंग्रेजों से स्वतंत्र हुआ । उसके लिए जाने कितना संघर्ष करना पड़ा था । उसका लंबा इतिहास है एवं वह इतिहास त्याग, बलिदान, आत्म समर्पण और आंदोलन का है ।

स्वतंत्रता का पहला संग्राम छिड़ा था सन् 1857 में । पूरे देश में जगह-जगह अंग्रेजों के प्रति विद्रोह प्रकट किए गए । झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई स्वयं लड़ाई के मैदान पर उतरी । वह लड़ाई तो शांत हो गई ।

पर आजादी की प्यास बुझी नहीं । वीर भगत सिंह, चद्रशेखर आजाद, खुदीराम, नेताजी सुभाष चद्र ने आत्म बलिदान किए । गोखले, तिलक, गांधी ने राष्ट्रव्यापी आन्दोलन का मशाल जलाया । गांधी ने सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन का मार्ग अपनाया और सारा देश आंदोलन में कूद पड़ा । तिलक की वाणी “स्वाधीनता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” चारों ओर गूँजती रही ।

1942 के ‘अंग्रेज भारत छोड़ो” आंदोलन से स्वयं अंग्रेज सरकार हार गई । उसका दमनचक्र नाकाम हो गया । 15 अगस्त को भारत को आजादी देने के लिए अंग्रेज सरकार विवश हो गई ।

स्वतंत्रता के लिए जाने कितने नौजवान हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़े, माताओं ने बहनों ने सिन्दूर के बदले राख का टीका लगाया । खून की धारा बही । उस प्रकार महान त्याग और बलिदान से देश को आजादी मिली है ।

15 अगष्ट राष्ट्रीय पर्व का दिवस है । इस दिन देश भर में सभी कार्यालय बंद रहते हैं । सर्वत्र तिरंगा झंडा फहराया जाता है । “जन गण मन अधिनायक” राष्ट्रीय गान गाया जाता है । स्वतंत्रता के महत्व पर भाषण दिए जाते हैं । प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराते हैं और देशवासियों के उद्देश्य में अपना भाषण देते हैं । इस दिन नाना कार्यक्रम होते हैं । भाषण स्पर्द्धा, आलोचना सभा, गोष्ठियों का आयोजन होता है ।

मिठाइयाँ खाई-खिलाई जाती हैं । रात में विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी मकानों में रोशनी की सजावट दीपावली की तरह होती है । स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में पत्रिकाएँ और पुस्तकें भी प्रकाशित होती हैं ।

स्वतंत्रता जीवन का महान् मूल्य है । जैसे मन को शांति, हृदय को प्यार और भूखे को अन्न चाहिए वैसे ही आत्मा को स्वतंत्रता चाहिए । हमें महान् त्याग से स्वतंत्रता मिली है, एक भारी कीमत चुकाकर । उसकी सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है । देश के सामने कई समस्याएँ हैं । स्वतंत्रता की खुशियाँ लूटने के साथ-साथ देश की समस्याओं पर भी चिंतन-मनन करना जरूरी है । हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को भूलकर राष्ट्रहित पर सोचें ।

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