Hindi poetry books latest 2023

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माँ

।।1।।

काफी दिन बीत चुके हैं।

वैशाख गया, सारा फगुण गया,

वर्षा झरने लगी

हमारे गाँव की नदी महषिकुल्या में

बाढ़ आयी, गयी

ऋतुएँ बदलती रहीं

पर, काफी दिन हो गये

देख नहीं पाया तुम्हें।

न जाने कैसे ?

सिर्फ महसूसा है तुम्हारी

बिना आवाज की, बिना बोल की

उस अवाक् नीरवता की

अखण्डित व्याकुलता को।

बड़ी कठिनाई से

ऊपर की ओर हाथ उठाकर

किस अँधेरे को टटोल रही हो माँ ?

तुम तो हो।

उस आलोकित विमान की यात्री।

हॉं माँ-मत भूलो

कि तुम हो उस आलोक पथ की यात्री।

जिस पथ पर गये हैंö “बाबूजी”

जगत के महान-महान ऋषि, योगीö

तुम हो माँ उसी पथ की यात्री !

याद है माँ

बहुत छुटपन में

भात का कटोरा हाथ में लिये

घूमती-फिरती थी आँगन में

हमारे रहनेवाले उस जमाने के

‘राधाकृष्ण मठ’ के एक किराये के मकान के

ओwर कहती थीं कि खा ले जल्दी-जल्दी

यह दख ‘बलकृष्ण महाप्रभु’ आ रहे हैं

आकाश से तेरे साथ खेलने,

‘राधाकृष्ण मठ’ के आँगन में।

भर पेट खाकर सो जाता था,

तुम्हारे पलंक पर

जान नहीं पाता था

कि “कृष्ण महाप्रभु” आते थे या नहीं

खेलने के लिए मेरे साथ

कम-से-कम सपने में।’

।।2।।

अब मेरे माँ

मुझ से है बहुत दूर

दूसरे एक शहर में

अन्य सभी भाई-बहन

परिवार, नातेदारों के साथ।

फिर भी न जाने क्यों

एक गुमसुम ‘सन्नाटा’ ढाँप लेता है उन्हें

‘बाबूजी’ के गुजर जाने के बाद।

पता हैö होठों को खोल कर

भले ही वे कुछ न कहें

पर कुछ बातें तो कह लेती हैं

त्याथा की नैया पर लेटे-लेटे

आँसू-भरी आँखों ही आखाँ से।

अभय और आशीष की दीप्त निगाहों से।

देखा है माँ

कई बार तुम्हारी स्निग्ध,

मलिन आँखों की कोर में

चंदन की एक छोटी बिंदी-सी

तारा भर रोशनी

जो रोशनी धो डालती है

मेरी इस काली-कलूटी देह को

सहला देती है,

‘रक्षा कवच’ के सहस्र-सहस्र

मंत्रों से अभिमंत्रित 

उन आँखों की भोर की धूप से

उन आँखों के समुद्र जैसे मातृत्व की

वात्सल्य-लहरों से।

उसी युगंधित फल की

उन पंखड़ियों की नरम-नरम

उत्ताल लहरों को माँ आज मैं

पोछ नहीं पा रहा हूँ अपने हाथों से।

वेदना के हर सुर में कभी बादल,

कभी वर्षा में भींगते हुए

भिन्नक्षम आज इस जीवन की नैया ‘मा’।

अब बिलकुल छू नहीं पा रहा है

अपनी माँ की अन्तहीन ममता का समुद्र-किनारा।

कई बार चाहा है कि जाऊँगा-जाऊँगा

देखने के लिए एक बार आँख भर कर

जैसे निहारता रहता है

धान का खेत स्वार का

आकाश के तैरते बादल को।

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