चींटी और टिड्डा story in hindi
The ant and the grasshopper story in hindi
एक बार एक छोटा टिड्डा रहा करता था। वह बहुत आलसी था। उसे कोई भी काम करना बिलकुल भी पसंद नहीं था। वो जब देखो तब इधर उधर घूमता रहता या फिर खेलता रहता। पूरी गर्मियों का मौसम उसने इधर उधर घूमने और नाचने गाने में ही निकाल दिया।
वो खुद तो कुछ काम करता नही था, जो चींटी काम करती उन पर हंसता और उनका मजाक उड़ाता।
एक दिन टिड्डा अपने गिटार को लेकर बैठा हुआ था कि तभी उसने देखा की एक चींटी अपने उपर खाने का सामान लेकर जा रही है
तिढ्ढे ने चींटी का मजाक उड़ाते हुए कहा, ओह! चींटी तुम यहां क्या कर रही हो? आओ मेरे साथ आकर डांस करो!
ओह! मुझे परेशान मत करो! मैं लंबी सर्दियों के लिए खाना इक्कठा करने में व्यस्त हूं। मेरे पास तुम्हारे साथ नाचने का समय नहीं है। चींटी ने जवाब दिया।
आलसी टिड्डा चींटी पर जोर जोर से बस हंसता ही रहा।
देखते ही देखते गर्मियों का मौसम खत्म हुआ और सर्दियां शुरू हो गई।
ठंडी ठंडी हवाएं बहुत तेजी से चल रही थी और सारे पत्ते टूट कर गिर चुके थे। और जल्द ही बर्फ भी गिरने लगी। अब वहां कोई भी घास या पत्तियां नही बची थीं।
आलसी टिड्डा अब कहां रहता। वो अपने रहने की जगह ढूंढने लगा। अब उसे बहुत भूख लग रही थी। पर उसे न तो रहने की जगह मिली और न खाना मिला।
हर तरफ बस बर्फ ही बर्फ थी।
टिड्डा सच ने बहुत भूखा था जब उसे कोई रास्ता नही दिखा तब अंत में वो चींटी के घर गया। उसने चींटी के घर का दरवाजा खटखटाया।
चींटी बाहर आई, प्यारी चींटी! में बहुत भूखा हूं और मुझे बहुत ठंड भी लग रही है मेरे पास खाने के लिए कुछ नही है। कृपया मुझे कुछ खाने को दे दो तिड्ढे ने कहा।
अच्छा! तुम पूरी गर्मियों में क्या कर रहे थे?? चींटी ने बोला। मैं हरी पत्तियों पर नाच और गा रहा था। टिड्डे ने सिर झुकाते हुए जवाब दिया।
तो जाओ अब सफेद सफेद बर्फ पर नाचो और गाओ चींटी ने कहा। और झटके से दरवाजा बंद कर लिया।
बेचारे टिड्डे को कुछ खाने को नही मिला। और अंत में वह भूख से मर गया। क्योंकि उसने अपने लिए पूरी गर्मियों में खाना इक्कठा नही किया था।